दिल्ली में हुए सामूहिक बलात्कार का पिछले दिनों जो हादसा हुआ वो भयावह था पर इस घटना के बाद जो जनाक्रोश पुरे भारत में दिखाई दिया वो इससे पहले शायद ही किसी घटना के बाद हुआ होगा । चुकी हमारे देश में रिवाज है की किसी भी घटना होने पर सबसे पहले उसका ठिकड़ा सर्कार के मत्थे फोड़ना होता है इसीलिए सभी लोग सर्कार से जवाब मांगने लगे की उन्होंने क्यों देश की राजधानी की सुरक्षा को चाक चौबंद नहीं किया और क्यों वे दिल्ही को महिलाओ के लिए महफूज नहीं बना पाए । सवाल बिलकुल जायज है पर सबसे पहले हमें कुछ बातो पर जरुर गौर करना होगा
सबसे पहले में जिस चीज़ को लेकर सबसे ज्यादा चिंतित हु वो है हमारे देश में लोगो का नैतिक पतन । जो बहुत ही दुखदायी है कई लोग इसे पश्चिमी सभ्यता का भारतीय सभ्यता में घुसपैठ का परिणाम समझते है । तो कई लोग इसे टी,.वी. और इन्टरनेट के घटते मानको और हमारे युवाओ का उसमे दिन रात सम्मिलित होंने को इस नैतिक पतन का जिम्मेदार मानते है । वजह चाहे जो भी हो हमें यह जरुर स्वीकार करना होगा की हम अपने गौरवशाली इतिहास को इन गंदे और बदनुमा दाग से धूमिल करते जा रहे है । चुकी इस पतन के जिम्मेदार हम किसी एक को नहीं कह सकते इसीलिए हम सभी को इस मानसिक कुंठाओ को जो समाज में व्याप्त है, जड़ से मिटने के उपाय खोजने होंगे
इस हादसे के बाद हमारे देश में सख्त क़ानून की जरुरत के लिए कई जगह प्रदर्शन किया गया, इसी तरह के एक प्रदर्शन में जो दिल्ली के इंडिया गेट के पास किया जा रहा था भीड़ काफी उग्र हो गयी जिससे पुलिस को बलपूर्वक उनसे निपटना पड़ा फलस्वरूप कई लोगो को चोटें आई। इसी प्रदर्शन में दिल्ली पुलिस का एक जवान शहीद हो गया । यह पूरी घटना बहुत ही विचलित करने वाली थी ।
जहा तक सख्त कानून की बात है तो वो जरूर होना चाहिए पर एक बात इसमें गौर करने वाली है की हमारे यहाँ कानून को खिलौना समझना वाले लोग कोई और नहीं हम में से ही होते है । आज बड़ी बड़ी बाते करने वाले लोग और हर परेशानी में सरकार को कोसने वाले लोग भी हर दिन कोई न कोई कानून तोड़ते रहते है । सड़क पर तो कानून की धज्जिया मचाई जाती है । अपने फायदे के लिए रिश्वत देना और लेना दोनों गैर कानूनी है पर हम में से कितने लोग है जो इस अपराध से कोसो दूर है? किसी पार्टी के नेता से पहचान या किसी पुलिस अफसर से पहचान हम में से बहुत से लोगो को फायदा पहुचती रही है
मेरा तो यह मानना है की जितने लोग प्रदर्शन करने के लिए सड़कों पर उतरें थे अगर उतने ही लोग एक सभ्य और जिम्मेदार नागरिक का अपना फर्ज अदा करे तो हम एक साफ स्वच्छ समाज के निर्माण के बहुत करीब पहुँच जायेंगे जो बाकी लोगो के लिए प्रेरणा बनेगी । अगर हम सब कुछ सरकार के भरोसे छोड़ देंगे तो हमें शायद वर्षों लग जाये ऐसे समाज को पाने के लिए इसीलिए मेरा मानना है की समाज के प्रबुध्ह लोगो को आगे आकर समाज को नैतिक रह दिखाकर अपना दायित्व का वहां करना चाहिए .
धन्यवाद
ऋतू कुमार
0 comments:
Post a Comment